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“सुशासन एक ऐसा पहिया हैं जो प्रभावी सरकार रूपी वाहन को गति प्रदान करता हैं।“

भारत के पास अपने नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं। राष्ट्रीय स्तर पर भारत ने अपने नागरिकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए मजबूत संस्थागत ढांचा विकसित किया हैं। स्वतंत्रता के बाद के वर्षों के दौरान, राजनीतिक मोर्चे पर वैश्विक घटनाक्रम ने भारत के प्रशासनिक ढांचे को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई हैं। ऐतिहासिक रूप से भारत की लोक सेवा का केंद्र बिंदु सामाजिक कल्याण रहा हैं। तथापि, भारत पूर्ण रूप से इसका लाभ लेने में असफल रहा हैं। किसी भी व्यवस्था, चाहे वो कितना भी प्रभावी और दृढ़ निश्चयात्मक क्यों न हो, को सुचारू रूप से चलाने के लिए राष्ट्र के सामान्य नागरिकों के समर्थन की आवश्यकता होती हैं। वर्तमान समय में, सुशासन भारतीय शासन व्यवस्था का केन्द्र बिन्दु बन गया हैं। भारत की व्यापक भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधताएँ भारत में प्रभावी शासन व्यवस्था के लिए एक अहम चुनौती पेश करती हैं।

पारदर्शिता और जवाबदेही किसी भी शासन व्यवस्था के सुशासित होने के दो अहम मापक घटक हैं। किसी भी संस्था के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए व्यवस्थाएं विकसित करना सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक हैं। यदि इसे नजरअंदाज कर दिया जाए तो यह संसाधनों के दुरुपयोग को कई गुना बढ़ा सकता हैं तथा संसाधनों के रिसाव के द्वार खोल सकता हैं जो अंततः संसाधन विचलन को बढ़ावा देता हैं। समकालीन संदर्भ में, सुशासन को  बढ़ावा देने के लिए अनेक संस्थाओं जैसे कि निगमों (राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय), शैक्षणिक संस्थानों, अंतरसरकारी संगठनों इत्यादि जिनके घनिष्ट सहभागिता के साथ सरकारें काम करती हैं, को एक मंच पर लाने की आवश्यकता हैं। भारत जैसे विशाल और विविधता भरे राष्ट्र में सुशासन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उपरोक्त सभी संगठनों के सामूहिक प्रयास अति महत्वपूर्ण हैं तथा नागरिक समाज संगठन भी इस कार्य में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं।

अगम, जो सुशासन को बढ़ावा देने के केंद्र के तौर पर काम करता हैं, की उत्पत्ति इस तथ्य में निहित हैं कि सरकारों को विकास परियोजनाओं को प्रभावी रूप से क्रियान्यवित करने के लिए तथा समग्र रूप से सुशासन के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु नागरिक समाज संगठनों के सहयोग की आवश्यकता होती हैं।

अगम, संस्था पंजीकरण अधिनियम-1860 , के तहत पंजीकृत एक गैर सरकारी संगठन हैं जो पूर्ण रूप से स्वयंसेवकों द्वारा संचालित एवं प्रबंधित हैं। इसका प्रमुख उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, ग्रामीण विकास, नारी सशक्तिकरण एवं बाल कल्याण, कानून और न्याय, भ्रष्टाचार-निरोध एवं पारदर्शिता आदि में सुशासन के स्तर को बढ़ाना हैं।

उद्देश्य एवं ध्येय

अगम के उद्देश्य एवं ध्येय निम्न हैं -
1. भारत के संविधान की प्रस्तावना में निहित मूल्यों की रक्षा एवं संवर्धन करना
2. जमीनी स्तर पर पंचायती राज व्यस्थाओं को बढ़ावा देते हुए विकास कार्यो में सरकार की मदद करना
3. शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, ग्रामीण विकास, कानून और न्याय आदि के क्षेत्रों में उचित प्रबंध करके समाज का सर्वांगीण विकास करना