कानून और न्याय


कानून और न्याय

जैसा कि सर इवोर जेनिंग्स ने ठीक ही कहा था - '' भारतीय संविधान वकीलों के लिए स्वर्ग है '', भारत के आम नागरिकों की कानून और न्याय तक पहुँच बहुत कठिन है।  हमारे देश का कानून इतना जटिल है और न्याय इतना महंगा है कि भारतीय जनसंख्या का एक बड़ा भाग हमारे देश की न्यायपालिका के पास नहीं जा पाता है।  यह न्याय देने वाले संसथानों और भारत में न्याय की मांग करने वाले निर्धन लोगों के बीच एक बड़े अंतर को दर्शाता है।

अगम, एक नागरिक समाज संगठन (CSO) के रूप में, गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करके कानूनी रूप से सशक्त बनाता है और न्याय व्यवस्था तथा जनसामान्य के बीच के अंतर को दूर करने का प्रयास करता है। कानून और न्याय तंत्र को उनके लिए कम जटिल बनाता है और उन्हें उनके विभिन्न अधिकारों को जानने के लिए सशक्त बनाता हैं।

भारतीय समाज को और अधिक न्यायपूर्ण बनाने के हमारे उद्देश्य में निम्नलिखित मुख्य बिंदु शामिल है -

  • कानून के शासन और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने का प्रयास करना।
  • शांतिपूर्ण तरीके से नागरिक स्वतंत्रता और जीवन के लोकतांत्रिक तरीके को बनाए रखने और बढ़ावा देने के लिए कार्य करना।
  • सामाजिक बुराइयाँ जैसे अस्पृश्यता, जातिवाद, सांप्रदायिकता, इत्यादि जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अतिक्रमण करती है, को समाप्त करने के लिए कार्य करना।
  • समाज के कमजोर वर्गों, विशेष रूप से, सामाजिक रुप से पिछडे लोगों, महिलाओं और बच्चों, इत्यादि की नागरिक स्वतंत्रता के बचाव के लिए कार्य करना।
  • सामान्य लोगों के अधिकारों की रक्षा और समय-समय पर जन हित के लिए घटक अदालत(तों) में वाद दायर करना।
  • मानव अधिकारों के विषय मे तथा विवाद निपटान तंत्र के विभिन्न तरीकों यानी लोक अदालत, परिवार न्यायालयों, महिला न्यायालयों, महिला प्रकोष्ठों के खिलाफ अपराध, एनसीडब्ल्यू, एनईई राज्य आयोग आदि के बारे में लोगो मे कानूनी जागरूकता फैलाने के लिए कार्य करना।
  • जरूरतमंद लोगों को कानूनी, चिकित्सा और सामाजिक-आर्थिक मदद और अन्य सहायता प्रदान करना।
  • भारत के संविधान द्वारा प्रदान की गई मौलिक अधिकारों, सामाजिक न्याय, शैक्षिक और आर्थिक उत्थान पर संगोष्ठी आयोजित करना।
  • उपभोक्ता संरक्षण कानूनों और जनता के अधिकारों के बारे में तथा इस संबंध में अन्य प्रावधानों के बारे मे लोगों को शिक्षित करना और विभिन्न प्रकार के जागरूकता कार्यक्रमों / गतिविधियों का आयोजन करना।
  • आपराधिक कानूनों और महिलाओं से संबंधित अपराध जैसे दहेज, बलात्कार, छेड़छाड़, बाल बलात्कार और बाल शोषण आदि अपराधों के बारे में जनसामान्य को नि: शुल्क मार्गदर्शन प्रदान करना।