ग्रामीण विकास

ग्रामीण विकास
“भारत कलकत्ता और बॉम्बे नहीं है; भारत इसके सात सौ हजार गांवों में रहता है। ”जब महात्मा गांधी ने यह बयान दिया, तो यह केवल एक बयान नहीं था, बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप की सीमा के भीतर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए यहाँ की सभ्यता और संस्कृति के संदर्भ में तथा भविष्य में समग्र विकास सुनिश्चित करने के परिप्रेक्ष्य में एक अनुस्मारक था। इस विचार को 73 वें संविधान संशोधन में ठोस अभिव्यक्ति मिली जब पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक मान्यता प्राप्त हुई। अगम ग्रामीण भारत की समृद्धि के लिए जमीनी स्तर पर काम करता है और केन्द्र सरकार के देश के गांवों को विकसित करने की दिशा में बढ़ते कदम के साथ, यह काम अत्यन्त प्रासंगिक हो गया है।
हमारे उद्देश्य -
- वर्तमान में उपलब्ध तथा भविष्य में आ सकने वाली अच्छी गुणवत्ता के बीज और अन्य कृषि प्रौद्योगिकी के बारे में किसानों की क्षमता निर्माण को सुनिश्चित करना
- डेयरी फार्मिंग, पोल्ट्री फार्मिंग, मधुमक्खी पालन, जैविक खेती आदि क्षेत्रों पर जोर देने के साथ किसानों को उनके आर्थिक विकास के लिए प्रशिक्षण प्रदान करना।
- किसानों और गाँव की आबादी के उत्थान के लिए गाँवों में ऊर्जा केंद्रों की स्थापना में सहायता करना।
- ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों जैसे कि बायोगैस, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, आदि पर अधिक जानकारी प्रदान करके ऊर्जा तक अपनी पहुंच बढ़ाने में ग्रामीण आबादी की सहायता करना।
- ग्रामीण बेरोजगारी की समस्या के समाधान के रूप में राज्य और केंद्र सरकार की रोजगार योजनाओं के बारे में नागरिकों को शिक्षित करने के लिए जागरूकता शिविर आयोजित करना।
हमारे प्रयास
जैविक खेती पर किसानों को शिक्षित करना
हमारी टीम नियमित रूप से उत्तर प्रदेश और भारत के अन्य राज्यों के विभिन्न गांवों में जैविक खेती के बारे में और यह किस तरह स्वास्थ्य और आर्थिक दृष्टि दोनों प्रकार से काफी उपयोगी और लाभदायक है, इस विषय पर किसानों को शिक्षित करने के लिए जाती है।
हम उन्हें खेती में जैविक विधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं जो वस्तुत: भविष्य में मिट्टी की गुणवत्ता में वृद्धि करेंगे और जिससें फसलों के उत्पादन में वृद्धि होगी।